भारत की ग्रामीण महिलाओं के जीवन में स्वयं सहायता समूह (SHG) एक बड़ा बदलाव ला रहे हैं। ये समूह न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बन रहे हैं, बल्कि सामाजिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। स्वयं सहायता समूह योजना 2025 इन प्रयासों को और गति प्रदान कर रही है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के लिए यह एक वरदान साबित हो रही है। इस विस्तृत लेख में, हम SHG योजना के तहत मिलने वाले लोन और ट्रेनिंग के लाभों पर गहराई से चर्चा करेंगे, साथ ही यह भी जानेंगे कि कैसे यह योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बना रही है।
मुख्य बातें: स्वयं सहायता समूह योजना 2025: लोन और ट्रेनिंग का लाभ
भारत में ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता समूह (SHG) एक महत्वपूर्ण पहल है। 2025 में यह योजना और भी व्यापक रूप ले रही है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को वित्तीय सहायता और कौशल विकास के अवसर प्रदान करना है। इस योजना के तहत, महिलाओं को न केवल अपनी आजीविका शुरू करने के लिए आसान शर्तों पर स्वयं सहायता समूह लोन मिलता है, बल्कि उन्हें विभिन्न कौशलों में मुफ्त ट्रेनिंग भी दी जाती है। यह लेख आपको स्वयं सहायता समूह योजना 2025 के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराएगा, ताकि आप इसका अधिकतम लाभ उठा सकें।
- वित्तीय सहायता: समूहों को ₹20,000 से ₹30,000 का रिवॉल्विंग फंड और ₹2,50,000 तक का सामुदायिक निवेश कोष मिलता है।
- ऋण सुविधा: 8.9 मिलियन SHG ने 2.54 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया है, जिससे साहूकारों पर निर्भरता कम हुई है।
- व्यापक ट्रेनिंग: कौशल विकास, वित्तीय साक्षरता, उद्यमिता और सामाजिक मुद्दों पर मुफ्त ट्रेनिंग प्रदान की जाती है।
- आजीविका संवर्धन: स्थानीय व्यवसाय और कृषि आधारित आजीविकाओं को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
- विस्तार: 31 जनवरी 2025 तक लगभग 10.05 करोड़ महिला परिवार 90.90 लाख SHG में शामिल हैं।
- सरकारी समर्थन: दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) द्वारा संचालित।
स्वयं सहायता समूह क्या हैं? एक परिचय
स्वयं सहायता समूह छोटे-छोटे समुदायों से बने ऐसे समूह होते हैं, जिनमें सामान्यतः 10 से 20 महिलाएं स्वेच्छा से एक साथ आती हैं। इन समूहों का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार लाना होता है। सदस्य नियमित रूप से छोटी-छोटी बचत करते हैं और इस सामूहिक निधि का उपयोग आंतरिक ऋण प्रदान करने के लिए करते हैं। यह एक सहयोगात्मक मॉडल है जो सदस्यों को एक-दूसरे का समर्थन करने और सामूहिक रूप से समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करता है। ग्रामीण भारत में, SHG योजना ने महिलाओं को संगठित करने और उन्हें सशक्त बनाने में अभूतपूर्व भूमिका निभाई है।
स्वयं सहायता समूह योजना 2025: आर्थिक सशक्तिकरण का आधार
स्वयं सहायता समूह योजना 2025 का एक प्रमुख स्तंभ आर्थिक सशक्तिकरण है। यह योजना ग्रामीण महिलाओं को औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करती है, जिससे वे अपनी आजीविका शुरू कर सकें या मौजूदा व्यवसायों का विस्तार कर सकें।
1. पूंजीकरण सहायता: रिवॉल्विंग फंड और सामुदायिक निवेश कोष
यह योजना स्वयं सहायता समूहों (SHG) को पूंजीकरण सहायता प्रदान करती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसमें दो प्रमुख घटक शामिल हैं:
- रिवॉल्विंग फंड (आरएफ): प्रत्येक समूह को ₹20,000 से ₹30,000 की प्रारंभिक पूंजीकरण सहायता दी जाती है। यह फंड समूह के सदस्यों को उनकी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करने और आय-सृजन गतिविधियों को शुरू करने में मदद करता है। यह एक शुरुआती पुश की तरह काम करता है, जिससे समूह अपनी गतिविधियों को गति दे सके।
- सामुदायिक निवेश कोष (CIF): बड़े पैमाने पर आय-सृजन एवं उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए, समूहों को ₹2,50,000 तक की राशि सामुदायिक निवेश कोष के रूप में प्रदान की जाती है। यह राशि समूह के सदस्यों द्वारा बड़े व्यावसायिक उद्यमों को स्थापित करने या सामूहिक रूप से किसी बड़ी परियोजना में निवेश करने के लिए उपयोग की जा सकती है। 30 जून 2025 तक कुल ₹58,714.44 करोड़ की पूंजीकरण सहायता प्रदान की जा चुकी है, जो इस योजना की व्यापक पहुंच को दर्शाता है। यह जानकारी आप पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति में भी देख सकते हैं।
2. स्वयं सहायता समूह लोन: औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच
योजना के तहत, SHG को बैंकों से आसान और सस्ती दरों पर ऋण प्राप्त करने में मदद की जाती है। पारंपरिक रूप से, ग्रामीण महिलाओं को साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ता था, जो अक्सर अत्यधिक ब्याज दरें वसूलते थे। SHG योजना ने इस निर्भरता को कम किया है।
- फरवरी 2023 तक, लगभग 8.9 मिलियन SHG ने 2.54 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि ग्रामीण महिलाएं अब औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक आसानी से पहुंच पा रही हैं, जिससे वे अपने आर्थिक भविष्य को सुरक्षित कर सकती हैं।
- यह स्वयं सहायता समूह लोन विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है, जैसे कृषि कार्य, पशुपालन, छोटे व्यवसाय, हस्तशिल्प और अन्य आय-सृजन गतिविधियां।
मुफ्त ट्रेनिंग और क्षमता विकास: ज्ञान से सशक्तिकरण
आर्थिक सहायता के साथ-साथ, स्वयं सहायता समूह योजना 2025 का एक और महत्वपूर्ण पहलू मुफ्त ट्रेनिंग और क्षमता विकास है। यह सिर्फ पैसे देने के बारे में नहीं है, बल्कि महिलाओं को ज्ञान और कौशल से लैस करने के बारे में भी है, ताकि वे अपने जीवन में स्थायी बदलाव ला सकें।
- कौशल विकास: सदस्यों को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षण दिया जाता है, जो उन्हें आय अर्जित करने में मदद कर सकें। इसमें सिलाई, बुनाई, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, और अन्य स्थानीय उद्योगों से संबंधित कौशल शामिल हैं। यह प्रशिक्षण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सीधा योगदान देता है।
- वित्तीय साक्षरता: SHG सदस्यों को बचत, ऋण प्रबंधन, निवेश और बैंक लेनदेन के बारे में सिखाया जाता है। यह उन्हें अपने वित्त का बेहतर प्रबंधन करने और वित्तीय धोखाधड़ी से बचने में मदद करता है। वित्तीय रूप से साक्षर होना आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है।
- उद्यमिता प्रशिक्षण: जिन महिलाओं में उद्यमशीलता की भावना होती है, उन्हें व्यवसाय योजना बनाने, बाजार विश्लेषण करने, उत्पादों का विपणन करने और ग्राहकों को आकर्षित करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह उन्हें सफल उद्यमी बनने में मदद करता है।
- सरकारी योजनाओं की जानकारी: सदस्यों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में भी जागरूक किया जाता है, जिनका वे लाभ उठा सकती हैं। यह उन्हें सरकारी सहायता तक पहुंचने में मदद करता है और उनके अधिकारों के प्रति सजग बनाता है।
- सामाजिक जागरूकता: प्रशिक्षण केवल आर्थिक पहलुओं तक ही सीमित नहीं है। SHG महिलाएँ स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, बाल विवाह, घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी सजग होती हैं। वे अपने समुदायों में इन मुद्दों पर जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और सामाजिक उत्थान में योगदान देती हैं। इस बारे में अधिक जानकारी आप दृष्टि आईएएस के लेख में पा सकते हैं।
महिला उद्यमिता और आजीविकाएँ: आत्मनिर्भरता की ओर कदम
स्वयं सहायता समूह योजना महिलाओं को पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह की आजीविकाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
- स्थानीय व्यवसाय: समूह स्थानीय संसाधनों और कौशल का उपयोग करके छोटे व्यवसाय शुरू करते हैं। इसमें कृषि उत्पाद, डेयरी उत्पाद, हस्तशिल्प, अचार, पापड़ और अन्य घरेलू उत्पाद बनाना शामिल है, जिनकी स्थानीय और क्षेत्रीय बाजारों में मांग होती है।
- कृषि आधारित आजीविकाएँ: महिलाओं को आधुनिक कृषि तकनीकों, जैविक खेती और बेहतर फसल प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है। इससे उनकी कृषि उपज बढ़ती है और आय में वृद्धि होती है।
- आधुनिक प्रशिक्षण: समूहों को आजीविका संबंधी आधुनिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जाता है। इसमें डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन बिक्री जैसे कौशल भी शामिल हो सकते हैं, जिससे वे अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचा सकें।
- ग्रामीण परिवहन: सरकार ग्रामीण परिवहन को बढ़ावा देने के लिए भी SHG को सहायता प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को वाहन उपलब्ध कराने के लिए समर्थन मिलता है, जिससे वे दूरदराज के क्षेत्रों में परिवहन सेवाएं प्रदान कर सकें और आय अर्जित कर सकें। यह पहल महिलाओं को नए उद्यमों में प्रवेश करने का अवसर देती है।
आंकड़े और विस्तार: एक सफल कहानी
स्वयं सहायता समूह योजना की सफलता उसके आंकड़ों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह योजना लगातार लाखों महिलाओं के जीवन को बदल रही है।
- जनवरी 2025 तक भारत में लगभग 10.05 करोड़ महिला परिवार 90.90 लाख स्वयं सहायता समूहों में शामिल हो चुके हैं। यह संख्या योजना की व्यापक पहुंच और स्वीकार्यता को दर्शाती है।
- यह योजना केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों से समर्थित है, जो इसे और अधिक प्रभावी बनाती है। राज्यों के साथ साझेदारी से योजना का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से होता है।
- छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में SHG योजना ने विशेष रूप से सफलता हासिल की है। अकेले छत्तीसगढ़ में, 2.79 लाख SHG के माध्यम से लगभग 29.78 लाख महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। यह उदाहरण दिखाता है कि कैसे यह योजना जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव ला रही है। इन आंकड़ों के लिए आप पीआईबी की एक और विज्ञप्ति देख सकते हैं।
सरकारी मिशन और समर्थन: एक संयुक्त प्रयास
स्वयं सहायता समूह योजना का संचालन और समर्थन दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के तहत किया जाता है। यह ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित एक प्रमुख मिशन है।
- दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM): इसका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सशक्तिकरण है। यह मिशन देश भर में SHG के गठन, पोषण और स्थायी विकास के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है।
- यह मिशन सुनिश्चित करता है कि SHG को न केवल वित्तीय सहायता मिले, बल्कि उन्हें संगठनात्मक, तकनीकी और सामाजिक सहायता भी प्रदान की जाए, जिससे वे दीर्घकालिक रूप से सफल हो सकें।
- DAY-NRLM के तहत, SHG को विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं से जोड़ा जाता है, जिससे उनके सदस्यों को और अधिक लाभ मिल सके। यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को समग्र विकास के अवसर मिलें। मध्य प्रदेश सीएम हेल्पलाइन पर आप इस योजना से संबंधित जानकारी भी पा सकते हैं।
स्वयं सहायता समूह योजना के फायदे और नुकसान
| फायदे (Pros) | नुकसान (Cons) |
|---|---|
| आसान और सुरक्षित स्वयं सहायता समूह लोन तक पहुंच। | शुरुआती चरणों में सदस्यों के बीच समन्वय की चुनौती। |
| वित्तीय साक्षरता और उद्यमिता में मुफ्त ट्रेनिंग। | बाहरी समर्थन (सरकारी या NGO) पर निर्भरता की संभावना। |
| महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा। | छोटे समूहों के लिए बड़े पैमाने के उद्यमों में पूंजी की कमी। |
| सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता और सामूहिक कार्रवाई। | सदस्यों के बीच विवाद या धन के कुप्रबंधन का जोखिम (हालांकि नियम सख्त होते हैं)। |
| स्थानीय आजीविकाओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती। | कुछ क्षेत्रों में जागरूकता और पहुंच की कमी। |
| साहूकारों पर निर्भरता में कमी। | लंबित सरकारी अनुमोदन या धन हस्तांतरण में देरी। |
2025 में स्वयं सहायता समूह योजना: आगे की राह
2025 और उसके बाद, स्वयं सहायता समूह योजना का ध्यान महिलाओं को केवल वित्तीय सहायता प्रदान करने से आगे बढ़कर उन्हें डिजिटल रूप से सशक्त बनाने पर भी होगा। नए जमाने के कौशल, जैसे कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों का उपयोग करना, ऑनलाइन भुगतान करना और डिजिटल मार्केटिंग सीखना, ग्रामीण महिलाओं के लिए नए अवसर खोलेगा। सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक SHG को डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ा जाए, जिससे उनके उत्पादों को व्यापक बाजार मिल सके और वे शहरी उपभोक्ताओं तक भी पहुंच सकें। यह योजना भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी विकास और समृद्धि लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
FAQ
-
स्वयं सहायता समूह (SHG) क्या है?
स्वयं सहायता समूह 10 से 20 ग्रामीण महिलाओं का एक स्वैच्छिक संगठन है, जो अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए नियमित रूप से बचत करती हैं और आपसी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक-दूसरे को ऋण देती हैं। यह एक सहयोगात्मक मॉडल है। -
स्वयं सहायता समूह योजना के तहत कितना लोन मिल सकता है?
SHG योजना के तहत समूहों को रिवॉल्विंग फंड के रूप में ₹20,000 से ₹30,000 और सामुदायिक निवेश कोष (CIF) के रूप में ₹2,50,000 तक की पूंजीकरण सहायता मिलती है। बैंक भी कम ब्याज दरों पर बड़े ऋण उपलब्ध कराते हैं, जैसे फरवरी 2023 तक 2.54 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया। -
SHG सदस्यों को किस प्रकार की मुफ्त ट्रेनिंग मिलती है?
SHG सदस्यों को कौशल विकास (जैसे सिलाई, खाद्य प्रसंस्करण), वित्तीय साक्षरता, उद्यमिता (व्यवसाय योजना), और सरकारी योजनाओं के बारे में मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है। साथ ही, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी जागरूकता बढ़ाई जाती है। -
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) की क्या भूमिका है?
DAY-NRLM ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित एक मिशन है जो स्वयं सहायता समूहों के गठन, पोषण और स्थायी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीबी को कम करना और महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। -
क्या स्वयं सहायता समूह लोन बिना किसी गारंटी के मिलता है?
हां, अधिकांश स्वयं सहायता समूह लोन बिना किसी कठोर संपार्श्विक (collateral) के उपलब्ध होते हैं, क्योंकि समूह की सामूहिक जिम्मेदारी और बचत इतिहास को ही गारंटी के रूप में देखा जाता है। यह ग्रामीण महिलाओं के लिए ऋण तक पहुंच को आसान बनाता है। -
स्वयं सहायता समूह का हिस्सा बनने के क्या फायदे हैं?
SHG का हिस्सा बनने से महिलाओं को वित्तीय सहायता, मुफ्त ट्रेनिंग, सामाजिक समर्थन, सामूहिक शक्ति और विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने में मदद करता है।
निष्कर्ष
स्वयं सहायता समूह योजना 2025 भारत की ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली साधन है। यह योजना न केवल उन्हें आसान शर्तों पर स्वयं सहायता समूह लोन प्रदान करती है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में मुफ्त ट्रेनिंग और क्षमता विकास के अवसर भी मुहैया कराती है। SHG के माध्यम से, महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, अपनी आजीविका चला रही हैं और अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत कर रही है और देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। यदि आप या आपके परिचित इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो स्थानीय ग्रामीण विकास विभाग या बैंकों से संपर्क कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए, आप हमारे About Us पेज पर जा सकते हैं या Contact कर सकते हैं। #SHGYojana #MahilaSashaktikaran
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